• Kshatriya Rajput History ( क्षत्रिय राजपूत इतिहास ) •

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Friday 3 March 2017

मेवाड़ की हाड़ी रानी का यह रूप देख आज भी सिहर जाते हैं लोग

कहा जाता है कि पूरे देश के इतिहास को तराजू के एक तरफ रख दें और सिर्फ मेवाड़ के इतिहास को दूसरी तरफ रख दें तो भी मेवाड़ के इतिहास का पलड़ा भारी ही रहेगा. कभी गुलामी स्वीकार नहीं करने वाले महाराणा प्रताप की इस धरा पर वीरता और शौर्य की कई कहानियां आज भी जिन्दा हैं. ऐसी ही कहानी है हाड़ी रानी की.

मेवाड़ की हाड़ारानी ने मातृभूमि के लिए अपना सिर काटकर युद्ध के मैदान में भिजवा दिया था. सिर काटने और युद्ध के मैदान के पीछे इस कहानी में एक अमर प्रेम कथा छिपी है. ( फोटो - सलुभंर महल )

सलूंबर की रानी हाड़ी रानी की यह कहानी 16वीं शताब्दी की है. तब किशनगढ़ के राजा मान सिंह थे और तब औरंगजेब ने किशनगढ़ पर आक्रमण करने के लिए कूच किया था. मेवाड़ के राजा राजसिंह ने औरंगजेब को किशनगढ़ से पहले रोकने की जिम्मेदारी सलूंबर के राव रतन सिंह को सौंपी थी. (फोटो- महल में लगी प्रतिमा)
राव रतन सिंह की शादी इससके एक दिन पहले ही हाड़ी रानी के साथ हुई थी. रानी के हाथों की मेहंदी भी नहीं सूखी थी कि राव रतन सिंह को युद्ध के मैदान में जाना था. राव हाड़ी रानी से इतना प्रेम करते थे की एक पल भी दूर रहना गंवारा नहीं था. (फोटो- महल में हाड़ी रानी कक्ष)
सलूंबर महल के चौक में खड़े होकर वे अपनी सेना को युद्ध के लिए तैयार कर रहे थे. लेकिन मन रानी को लेकर उदास था और तभी एक सैनिक से उन्होंने रानी की निशानी लाने को कहा. जब सैनिक रानी के पास निशानी लेने पहुंचा तो रानी को लगा कि राव रतन सिंह उनके प्रेम मोह से छूट नहीं पा रहे. (फोटो- महल में हाड़ी रानी की प्रतिमा)






ऐसे में हाड़ी रानी अपने हाथ से ही अपना शीश काट सैनिक से साथ भिजवा दिया. अपने प्यार में दिग्भ्रमित हुए पति का जोश बरकरार रखने और कर्तव्य याद दिलाते हुए हाड़ी रानी इस बलिदान के साथ हमेशा के लिए अमर हो गईं. (फोटो- सलूंबर में  जर्जर स्थित में  हाड़ी रानी महल)



3 comments:

  1. Chouhan ke bheruji kaha kaha virajmaan he vistar se batawo hokam plzz contact📞 no. 9131907626,9009147558

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